Zero tolerance

जमीन से जुड़ा , आपके सामने के सामने खड़ा वो
मरीजों को दिन रात ठीक करने में जुटा वो
समाज के पेंचो को शायद ठीक से ना समझ सका वो
और शायद इसलिए खुद को बचा ना सका वो

आपके संवेदनहीन शहर में अस्पताल खोलने की भूल कर बैठा वो
या आसपास वालों पर भरोसा करने की गलती कर चूका वो
शहर में बढ़ते जुर्म की खबरो का बस एक उदाहरण बन गया वो
‘ऐसा तो होता रहता है ‘इस बात का पर्याय बन गया है वो

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